चांदनी रात थी
आसमान की चादर में तारे टिमटिमा रहे थे,
मै चल रही थी उन बादलों को आकार लेते हुए देख
वो सामने से आये
आज फिर उनसे मुलाकात हुई।
बारिश का मौसम था
हरियाली के बीच में
पानी की बूंदों का लुफ्त उठाते हुए
दूर मोर को नाचते हुए देख
रास्ते मे रुकावट आई गई
आज फिर उनसे मुलाकात हुई।
आंखे मिली
बिन बोले बहुत कुछ बात हो गई
वो बीता हुआ पल याद आया
वो पुरानी गलियां याद आ गई
आज फिर उनसे मुलाकात हुई।
वो गलिया जहां पे बहुत अच्छा वक्त गुजरा
वो गलियां जिन्हे भुलाकर भी न भूलें
यारो ये सपनो की बात ही अलग है
यादो का पिटारा साथ लेते आते है
आज फिर पुरानी चीज़े याद आई
आज फिर उनकी याद आई।।
[KISII AUR KI KAHANI MERI ZUBANI ]
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